मुक्तक
जख्मों को छुपाया और मरहम छुपा लिया,
पलकों से अपनी आँख का शबनम छुपा लिया।
तुम रोके भी गम अपना जरा कम न कर सके,
हमने हंसी की आड़ में हर गम छुपा लिया।।
-विपिन शर्मा
रामपुर
जख्मों को छुपाया और मरहम छुपा लिया,
पलकों से अपनी आँख का शबनम छुपा लिया।
तुम रोके भी गम अपना जरा कम न कर सके,
हमने हंसी की आड़ में हर गम छुपा लिया।।
-विपिन शर्मा
रामपुर