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15 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

सूरज की रोशनी को, परदे तले छिपाना ,
क्यूँ चाहते हो साहिब, मुझसे नज़र मिलाना ,
तूफान है नज़र में, साँसों में आंधियाँ हैं ,
सीखा नहीं है हमने, आहिस्ता गुज़र जाना ।

Language: Hindi
371 Views
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