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6 Sep 2018 · 1 min read

मुक्तक

गुज़ारे के लिए एक आशियाना कम नहीं होता,
महल वालों से छप्पर का ठिकाना कम नहीं होता,
मेरे घर जो भी आता है वो बरकत साथ लाता है,
परिन्दे छत पे आते हैं तो दाना कम नहीं होता।

Language: Hindi
382 Views
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