मुक्तक
किस शहर में तलाश करे हम जाये कहाँ,
ढूँढे कहाँ पर जाकर अपने खोए प्यार को,
ज़ालिम को मुझ पर अब भी आया नहीं रहम
अपनी ठोकर से उड़ाया उसने मेरी मज़ार को।
किस शहर में तलाश करे हम जाये कहाँ,
ढूँढे कहाँ पर जाकर अपने खोए प्यार को,
ज़ालिम को मुझ पर अब भी आया नहीं रहम
अपनी ठोकर से उड़ाया उसने मेरी मज़ार को।