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11 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

घुमड़-घुमड़ के बादल घिरा है आज अटारी पर,
विहंग बन के उड़ी मन में उमंग फिर यारो ,
कहीं पे कजली कहीं तान उठी बिरहा की,
ह्रदय में झांक गया इक अनंग फिर यारो ।

Language: Hindi
443 Views
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