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11 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

तेरी गलियों से गुज़रते तेरे मकाँ तक पहुँचे,
तेरे धड़कन की आवाज़ सुन यहाँ तक पहुँचे ,
चाँद को छू के चले आए हैं विज्ञान के पंख,
ज़रा गौर से देखो इंसान कहाँ तक पहुँचे ।

Language: Hindi
170 Views
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