मुक्तक
122 122 122 122
मेरे साथ में एक हलचल हुआ है
बताऊँ मैं कैसे बड़ा छल हुआ है।
दिया है उधारी जिसे कर्ज मैंने
कभी आज तो फिर कभी कल हुआ है।।
122 122 122 122
मेरे साथ में एक हलचल हुआ है
बताऊँ मैं कैसे बड़ा छल हुआ है।
दिया है उधारी जिसे कर्ज मैंने
कभी आज तो फिर कभी कल हुआ है।।