मुक्तक
मेरी आंखों को पढ़ लो तुम बड़ी ही उदास रहती हैं ,,
तेरी उल्फत में दिन ओ रात यूं ही चुपचाप बहती हैं ,,
तूझसे दूर रहकर अब गुज़ारा हो नही पाता ,,
बोझिल मेरी आंखें सनम रुक रुक के चलती हैं ,,
मेरी आंखों को पढ़ लो तुम बड़ी ही उदास रहती हैं ,,
तेरी उल्फत में दिन ओ रात यूं ही चुपचाप बहती हैं ,,
तूझसे दूर रहकर अब गुज़ारा हो नही पाता ,,
बोझिल मेरी आंखें सनम रुक रुक के चलती हैं ,,