मुक्तक
मंजिलों के रास्ते कुछ बोल रहे हैं!
रंग दिल में चाहत का घोल रहे हैं!
तिश्नगी ल़बों पर है पैमानों की,
क़दम जुस्तजू के कुछ डोल रहे हैं!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मंजिलों के रास्ते कुछ बोल रहे हैं!
रंग दिल में चाहत का घोल रहे हैं!
तिश्नगी ल़बों पर है पैमानों की,
क़दम जुस्तजू के कुछ डोल रहे हैं!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय