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6 May 2018 · 1 min read

मुक्तक

पीर ही पीडितों की सदा गाऊँ मैं,
शासको तक उसे ले दिखा जाऊँ मैं।
हक मिले हो भला ये मिरे हाथ ही,
शारदे माँ मिरी वर यही पाऊँ मैं।।
अशोक छाबड़ा 06042018

Language: Hindi
330 Views
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