मुक्तक
मिला है वियोग हमें तो हम भाग्यशाली हुए
वरना शारीरिक योग भी एक तन्हाई ही था ।।
मधुप बैरागी
ज़हन जख़्मी हो जिस अल्फ़ाज से
वो अल्फ़ाज बोलना छोड़ दो
झूठे शब्दों पर मुहब्बत की
शहादत देना छोड़ दो ।।
मधुप बैरागी
देखकर उनका आफ़ताबी नूर
काफूर हुआ ग़म-ए-इश्क के साये ।।
मधुप बैरागी
अस्मत पे लगे धब्बे मिटते नहीं
लाख साबुन लगाने से
मिटता तो वस्त्र-ए-शरीर
दाग़-ए-अस्मत मिटता नहीं ।।
मधुप बैरागी