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30 Mar 2018 · 1 min read

मुक्तक

शामो-सहर खोया रहता हूँ यादों में!
रात है तन्हा नाकाम तेरे वादों में!
मैं हो गया हूँ रुस्वा इतना जमाने में,
जिन्दगी शामिल है दर्द के शहजादों में!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
230 Views
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