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6 Mar 2018 · 1 min read

मुक्तक

तेरे लिए ख़ुद को भुलाता रहा हूँ मैं!
अश्कों को पलक से बहाता रहा हूँ मैं!
जब भी हुई है मेरी शामे–तन्हाई,
चाहत की आग को जलाता रहा हूँ मैं!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
385 Views
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