मुक्तक
मुक्तक
मात्रा भार-29
हसीं के फव्वारों को आपस मे बात कर लेने दो।
पल दो पल ही मुझे खुलकर खूब मुस्कुरा लेने दो।
इंसान तो कई जगह जन्म लेता और रहता है।
इंसानियत को भी कई जगह फूलों सा खिलने दो।
गायत्री सोनु जैन
मुक्तक
मात्रा भार-29
हसीं के फव्वारों को आपस मे बात कर लेने दो।
पल दो पल ही मुझे खुलकर खूब मुस्कुरा लेने दो।
इंसान तो कई जगह जन्म लेता और रहता है।
इंसानियत को भी कई जगह फूलों सा खिलने दो।
गायत्री सोनु जैन