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24 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

मात्रा भार-29

हसीं के फव्वारों को आपस मे बात कर लेने दो।
पल दो पल ही मुझे खुलकर खूब मुस्कुरा लेने दो।
इंसान तो कई जगह जन्म लेता और रहता है।
इंसानियत को भी कई जगह फूलों सा खिलने दो।

गायत्री सोनु जैन

Language: Hindi
414 Views
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