मुक्तक
पतझड़ लाया उदासी
फागुन बसंत बाहर
नई कोपलें। मुस्काई
प्रकृति का हुआ सृगार।
जीवन मे बसाया भरष्टाचार
भगवान से करवाया व्यापार
फ़ोटो धूप धर थाली में
भीख मंगवाया सरे बाजार।
पतझड़ लाया उदासी
फागुन बसंत बाहर
नई कोपलें। मुस्काई
प्रकृति का हुआ सृगार।
जीवन मे बसाया भरष्टाचार
भगवान से करवाया व्यापार
फ़ोटो धूप धर थाली में
भीख मंगवाया सरे बाजार।