मुक्तक
मदमस्त गज की तरह देखो झूम रहे है,
डाकू, लुटेरे आज खुले घूम रहे है!
नेताजी बने जब से भाग्य ही बदल गया,
कानून के रक्षक भी कदम चूम रहे है!!
-विपिन शर्मा
मदमस्त गज की तरह देखो झूम रहे है,
डाकू, लुटेरे आज खुले घूम रहे है!
नेताजी बने जब से भाग्य ही बदल गया,
कानून के रक्षक भी कदम चूम रहे है!!
-विपिन शर्मा