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22 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

दृढ़ निश्चय कर लो फिर कोई कदम रोक न पाता है,
चट्टानें ढह जाती हैं पर्वत भी शीश झुकाता है!
शिलालेख वे ही लिख पाते हैं जिनमें कुछ साहस हो,
स्याह रात चाहे कितनी हो चाँद चमकता जाता है!!
@विपिन शर्मा

Language: Hindi
246 Views
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