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14 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

तेरी याद में तबियत मचल जाती है!
शामे-अलम की सूरत बदल जाती है!
जब तीर ख्यालों का चुभता है जिगर में,
मेरे सब्र की नीयत पिघल जाती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
294 Views
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