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6 Nov 2017 · 1 min read

मुक्तक

मैं कबतक राह देखूँगा तेरे आने की?
तुमको राहे-जिन्दगी में फिर से पाने की!
धीरे धीरे चुभ रही है तन्हाई दिल में,
जाग उठी है जुस्तजू फिर से पैमाने की!

मुक्तककार-#मिथिलेश_राय

Language: Hindi
242 Views
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