मुक्तक
मैं कबतक राह देखूँगा तेरे आने की?
तुमको राहे-जिन्दगी में फिर से पाने की!
धीरे धीरे चुभ रही है तन्हाई दिल में,
जाग उठी है जुस्तजू फिर से पैमाने की!
मुक्तककार-#मिथिलेश_राय
मैं कबतक राह देखूँगा तेरे आने की?
तुमको राहे-जिन्दगी में फिर से पाने की!
धीरे धीरे चुभ रही है तन्हाई दिल में,
जाग उठी है जुस्तजू फिर से पैमाने की!
मुक्तककार-#मिथिलेश_राय