मुक्तक
आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं!
तेरी चाहत में गिरफ्तार बैठे हैं!
कोई डर नहीं है जुल्मों के दौर का,
हर जख्म के लिए हम तैयार बैठे हैं!
मुक्तककार-#मिथिलेश_राय
आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं!
तेरी चाहत में गिरफ्तार बैठे हैं!
कोई डर नहीं है जुल्मों के दौर का,
हर जख्म के लिए हम तैयार बैठे हैं!
मुक्तककार-#मिथिलेश_राय