मुक्तक
18/12/16
न रास्ता मालूम है हमको और न मंजिल का ठिकाना है
न जाने क्यों मगर फिर भी प्यार का बैरी ये ज़माना है
पता है और खबर सबको जीवन की सच्चाई का
नहीं रहना सदा सबको ,खुदा के ही पास जाना है
?नीलम शर्मा ?
18/12/16
न रास्ता मालूम है हमको और न मंजिल का ठिकाना है
न जाने क्यों मगर फिर भी प्यार का बैरी ये ज़माना है
पता है और खबर सबको जीवन की सच्चाई का
नहीं रहना सदा सबको ,खुदा के ही पास जाना है
?नीलम शर्मा ?