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24 Jun 2017 · 1 min read

मुक्तक

राहे-वक्त में तुम बदलते जा रहे हो!
तन्हा रास्तों पर तुम चलते जा रहे हो!
दूर-दूर क्यों रहते हो जिन्दगी से तुम?
बेखुदी की शक्ल में ढलते जा रहे हो!

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
206 Views
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