मुक्तक 3
अपनी नजरों को मैं मोड़ सकता नहीं ।
ऐसा संबंध है, तोड़ सकता नहीं ।
चाहे मैं इस ज़माने को छोड़ूं मगर,
कुछ भी हो पर तुम्हें छोड सकता नहीं ।
— सूर्या
अपनी नजरों को मैं मोड़ सकता नहीं ।
ऐसा संबंध है, तोड़ सकता नहीं ।
चाहे मैं इस ज़माने को छोड़ूं मगर,
कुछ भी हो पर तुम्हें छोड सकता नहीं ।
— सूर्या