मुक्तक
-चार मिसरे-
डूबता है दिल सफीना, दर्द की बरसात में,
खून ही टपका किया बस ख्वाब का ज़ज़्बात में।
चाँद मेरे चाँद से कहना कि तेरा चाँद ये,
बस तड़प कर ही सदा देता तुझे है रात में।
दीपशिखा सागर-
-चार मिसरे-
डूबता है दिल सफीना, दर्द की बरसात में,
खून ही टपका किया बस ख्वाब का ज़ज़्बात में।
चाँद मेरे चाँद से कहना कि तेरा चाँद ये,
बस तड़प कर ही सदा देता तुझे है रात में।
दीपशिखा सागर-