मुक्तक
“कभी अपनी हँसी पर भी गुस्सा आता है,
कभी सारे जहाँ को हँसाने को जी चाहता है।
कभी छुपा लेते है गमो को दिल के किसी कोने मे,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है।।”
संध्या
“कभी अपनी हँसी पर भी गुस्सा आता है,
कभी सारे जहाँ को हँसाने को जी चाहता है।
कभी छुपा लेते है गमो को दिल के किसी कोने मे,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है।।”
संध्या