** मुक्तक **
** मुक्तक **
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पास आकर बैठ जाना, खूब हम बातें करेंगे।
खिलखिलाकर मुस्कुराना, स्नेह बरसातें करेंगे।
जब प्रकृति भी खूब खिलती, जा रही है देखिए।
हम कदम आगे बढ़ाकर, नित मुलाकातें करेंगे।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/११/२०२४