#मुक्तक-
#मुक्तक-
■ मौजूदा राजनीति।
[प्रणय प्रभात]
मामूली मत समझो इस को याद रखो,
नासूरी बनते घातक छाले सी है।
कभी सियासत इक गहरे दरिया सी थी,
वही सियासत अब उथले नाले सी है।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)
#मुक्तक-
■ मौजूदा राजनीति।
[प्रणय प्रभात]
मामूली मत समझो इस को याद रखो,
नासूरी बनते घातक छाले सी है।
कभी सियासत इक गहरे दरिया सी थी,
वही सियासत अब उथले नाले सी है।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)