मुक्तक
गुरू ब्रह्म कौ सार है, रहे वेद बतलाय।
खान कबीरा कह गये, गुरु गोविंद कहाय।
हर संकट की राह के, बनते खेवनहार।
ब्रह्म ज्ञान को पा रहे, जो नित शीश नवाय।
गुरू ब्रह्म कौ सार है, रहे वेद बतलाय।
खान कबीरा कह गये, गुरु गोविंद कहाय।
हर संकट की राह के, बनते खेवनहार।
ब्रह्म ज्ञान को पा रहे, जो नित शीश नवाय।