मुक्तक
मुक्तक
जब मैं तेरा अंश हूँ तो मुझे भटकाता है क्यूँ
जब मैं तेरी सन्तान हूँ तो मुझे सही राह दिखाता नहीं है क्यूँ l
जब मुझे तुझमे विश्वास है तो अपनी लगन लगाता नहीं है क्यूँ
क्यूँ कर मुझे अपने करीब लाता नहीं है क्यूँ ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम