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6 Sep 2024 · 1 min read

#मुक्तक-

#मुक्तक-
■ कल, आज और कल पर।
【प्रणय प्रभात】
“ग़फ़लतों की नींद जो सोते रहे हैं,
जाग के अक़्सर वही रोते रहे हैं।
कल हुए वो हादसे आगे भी होंगे,
हादसे हर दौर में होते रहे हैं।।”
😢😢😢😢😢😢😢😢😢

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