आप सभी साथियों को विजय दसवीं पर्व की ह्रदय तल से शुभकामनाएं
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
23/189.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*समय होता कभी अच्छा, कभी होता बुरा भी है (हिंदी गजल)*
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
काश! हमारा भी कोई अदद मीत होता ।
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
जमाना तो डरता है, डराता है।
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
इश्क़ भी इक नया आशियाना ढूंढती है,
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
गुरु बिना ज्ञान नहीं, जीवन में सम्मान नहीं।
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन