आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
ले हौसले बुलंद कर्म को पूरा कर,
Anamika Tiwari 'annpurna '
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
गीत - इस विरह की वेदना का
दिल ने गुस्ताखियाॅ॑ बहुत की हैं जाने-अंजाने
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
जग अंधियारा मिट रहा, उम्मीदों के संग l
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
*शाही शादी पर लगे, सोचो कैसे रोक (कुंडलिया)*