मुक्तक
मुक्तक
क्यूँ कर ये जीवन, यूँ ही व्यर्थ हो जाये
क्यूँ कर जीवन, सितारों विहीन हो जाये
क्यूँ कर चांद घर के आंगन का, पता भूल जाये
क्यूँ ना हम खुद, किसी के घर के आँगन का चांद हो जाएँ l
अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *
मुक्तक
क्यूँ कर ये जीवन, यूँ ही व्यर्थ हो जाये
क्यूँ कर जीवन, सितारों विहीन हो जाये
क्यूँ कर चांद घर के आंगन का, पता भूल जाये
क्यूँ ना हम खुद, किसी के घर के आँगन का चांद हो जाएँ l
अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *