Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

जब भी निराशा हाथ लगे
नए अवसर तलाश करो l
जीवन का सत्य यही है
खुद के प्रयासों पर विश्वास करो ll

अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *

1 Like · 41 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
Phool gufran
तू शौक से कर सितम ,
तू शौक से कर सितम ,
शेखर सिंह
वाराणसी की गलियां
वाराणसी की गलियां
PRATIK JANGID
Miss you Abbu,,,,,,
Miss you Abbu,,,,,,
Neelofar Khan
डर डर जीना बंद परिंदे..!
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
"गलतफहमियाँ"
जगदीश शर्मा सहज
तृषा हुई बैरागिनी,
तृषा हुई बैरागिनी,
sushil sarna
*नारी है अबला नहीं, नारी शक्ति-स्वरूप (कुंडलिया)*
*नारी है अबला नहीं, नारी शक्ति-स्वरूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
कहावत है कि आप घोड़े को घसीट कर पानी तक ले जा सकते हैं, पर म
कहावत है कि आप घोड़े को घसीट कर पानी तक ले जा सकते हैं, पर म
इशरत हिदायत ख़ान
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जयघोष
जयघोष
Vivek saswat Shukla
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
VINOD CHAUHAN
कर्म।
कर्म।
Kanchan Alok Malu
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
*कैसे हार मान लूं
*कैसे हार मान लूं
Suryakant Dwivedi
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
*ख़ास*..!!
*ख़ास*..!!
Ravi Betulwala
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं सरिता अभिलाषी
मैं सरिता अभिलाषी
Pratibha Pandey
New Beginnings. 🌻
New Beginnings. 🌻
पूर्वार्थ
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
gurudeenverma198
बिना जिसके न लगता दिल...
बिना जिसके न लगता दिल...
आर.एस. 'प्रीतम'
सपनों का राजकुमार
सपनों का राजकुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"मैं पूछता हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
नशा के मकड़जाल  में फंस कर अब
नशा के मकड़जाल में फंस कर अब
Paras Nath Jha
🙅सब एक बराबर🙅
🙅सब एक बराबर🙅
*प्रणय*
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
कृष्णकांत गुर्जर
3371⚘ *पूर्णिका* ⚘
3371⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...