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31 Mar 2017 · 1 min read

मुक्तक

जिन्दगी जब मेरी खामोशियों में होती है!
शाम-ए-गुजर मेरी मदहोशियों में होती है!
जब भी याद आता है दौर तमन्नाओं का,
रात तन्हा गम की सरगोशियों में होती है!

मुक्तककार- #महादेव’

Language: Hindi
190 Views
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