मुक्तक
जिन्दगी जब मेरी खामोशियों में होती है!
शाम-ए-गुजर मेरी मदहोशियों में होती है!
जब भी याद आता है दौर तमन्नाओं का,
रात तन्हा गम की सरगोशियों में होती है!
मुक्तककार- #महादेव’
जिन्दगी जब मेरी खामोशियों में होती है!
शाम-ए-गुजर मेरी मदहोशियों में होती है!
जब भी याद आता है दौर तमन्नाओं का,
रात तन्हा गम की सरगोशियों में होती है!
मुक्तककार- #महादेव’