मुक्तक
किसने किसको क्या कहा, छोड़ो भी यह बात ।
वक्त मिले तो पूछना ,कैसी थी वो रात ।
कहने को खामोश था, लब से लब का मेल –
बेकाबू फिर हो गए , शर्मीले जज़्बात ।
सुशील सरना / 29-2-24
किसने किसको क्या कहा, छोड़ो भी यह बात ।
वक्त मिले तो पूछना ,कैसी थी वो रात ।
कहने को खामोश था, लब से लब का मेल –
बेकाबू फिर हो गए , शर्मीले जज़्बात ।
सुशील सरना / 29-2-24