मुक्तक
इच्छाओं की दामिनी, नृत्य करे दिन रात ।
मदन मेघ सब जानते, चातक मन की बात ।
रखे अंक में ज्योत्सना, अपने मन का चाँद –
विभावरी की ओट से , झाँके मौन प्रभात ।
सुशील सरना
इच्छाओं की दामिनी, नृत्य करे दिन रात ।
मदन मेघ सब जानते, चातक मन की बात ।
रखे अंक में ज्योत्सना, अपने मन का चाँद –
विभावरी की ओट से , झाँके मौन प्रभात ।
सुशील सरना