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8 Oct 2023 · 1 min read

#मुक्तक-

#मुक्तक-
■ सोच कर देना जवाब।।
“झूठ की परछाई बनकर के,
सच को कैसे झुठलाओगे?
मैं धुँधला सा शिलालेख हूँ,
मुझे मिटा कर क्या पाओगे?”
【प्रणय प्रभात】

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