मुक्तक
आसमान में घूम रहे हैं, आतंकी – से काले बादल।
भयाक्रांत करते रहते हैं,सबको ही मतवाले बादल।
कभी अचानक फट पड़ते हैं,कर देते हैं मुश्किल जीना,
मुझको तो पागल लगते हैं, दहशतगर्दी वाले बादल।।
✒ डाॅ. बिपिन पाण्डेय