सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
वेलेंटाइन डे आशिकों का नवरात्र है उनको सारे डे रोज, प्रपोज,च
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
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*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
नेताओं ने छेड़ दिया है,बही पुराना राग
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD