मुक्तक
किसी का दिल दुखाकर तुम , कभी भी खुश नहीं होना ।
छीन कर हक़ किसी का तुम , चैन की नींद मत सोना ।।
प्रकृति में वापिसी की खुद , बड़ी अच्छी व्यवस्था है ।
बो रहे आज जो भी हम , वही कल लौट कर मिलना।।
किसी का दिल दुखाकर तुम , कभी भी खुश नहीं होना ।
छीन कर हक़ किसी का तुम , चैन की नींद मत सोना ।।
प्रकृति में वापिसी की खुद , बड़ी अच्छी व्यवस्था है ।
बो रहे आज जो भी हम , वही कल लौट कर मिलना।।