मुक्तक
221 1221 1221 122
पीना है तो फिर शाम को घर आ के पिया कर
है तुझको कसम ठेके पे मत जा के पिया कर
मैं भी तो तेरे साथ पियूँगी मेरे दिलबर
बाज़ार से कुछ चखना सनम ला के पिया कर
प्रीतम श्रावस्तवी
221 1221 1221 122
पीना है तो फिर शाम को घर आ के पिया कर
है तुझको कसम ठेके पे मत जा के पिया कर
मैं भी तो तेरे साथ पियूँगी मेरे दिलबर
बाज़ार से कुछ चखना सनम ला के पिया कर
प्रीतम श्रावस्तवी