मुक्तक
इक नया संसार देना चाहती हूं।
खुद को थोड़ा प्यार देना चाहती हूं।
तोड़कर के बेड़ियां इन रुढ़ियों की,
स्वप्न को विस्तार देना चाहती हूं।।
इक नया संसार देना चाहती हूं।
खुद को थोड़ा प्यार देना चाहती हूं।
तोड़कर के बेड़ियां इन रुढ़ियों की,
स्वप्न को विस्तार देना चाहती हूं।।