मुक्तक-
मुक्तक-
ज़माने के सभी निज शीश पर इल्जाम लेता है।
मुसीबत झेल कर भी कहाँ वह नाम लेता है।
पिता प्रत्येक करता है सदा संतान की चिंता,
कदम जब लड़खड़ाते हैं वो उँगली थाम लेता है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
मुक्तक-
ज़माने के सभी निज शीश पर इल्जाम लेता है।
मुसीबत झेल कर भी कहाँ वह नाम लेता है।
पिता प्रत्येक करता है सदा संतान की चिंता,
कदम जब लड़खड़ाते हैं वो उँगली थाम लेता है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय