मुक्तक
बिकने को आओ तो खरीदार नहीं मिलता
चाहो यहां खरीदना, बाजार नहीं मिलता
नाजुक जनाब, दौर है, और दाम बेहिसाब
लगा रहे हैं बोलियां, खुद्दार नहीं मिलता।।
सूर्यकांत
बिकने को आओ तो खरीदार नहीं मिलता
चाहो यहां खरीदना, बाजार नहीं मिलता
नाजुक जनाब, दौर है, और दाम बेहिसाब
लगा रहे हैं बोलियां, खुद्दार नहीं मिलता।।
सूर्यकांत