मुक्तक
बे मौत में मर जाऊं तो , इतना कबूल कर
आ जाना सनम ख्वाब में हर बात भूलकर
तोहफे तो देना प्यार से धोखे ना देना तुम
तम्मन्ना यही है आरजू इतना कबूल कर
बे मौत में मर जाऊं तो , इतना कबूल कर
आ जाना सनम ख्वाब में हर बात भूलकर
तोहफे तो देना प्यार से धोखे ना देना तुम
तम्मन्ना यही है आरजू इतना कबूल कर