मुक्तक
हम हँसते हुए जीते हैं कभी रोते भी!
हम मंजिल को पाते हैं कभी खोते भी!
कभी मिल जाती है हर खुशी तकदीर से,
कभी जिन्द़गी को अश्क हैं भिगोते भी!
मुक्तककार #महादेव’ (23)
हम हँसते हुए जीते हैं कभी रोते भी!
हम मंजिल को पाते हैं कभी खोते भी!
कभी मिल जाती है हर खुशी तकदीर से,
कभी जिन्द़गी को अश्क हैं भिगोते भी!
मुक्तककार #महादेव’ (23)