मुक्तक
बिना भावनाओं के मैंने शब्दों को जोड़ कर देखा।
दिल कैसे टूटता है बेवफाई में मैंने तोड़ कर देखा।।
ना गीत बना ना ग़ज़ल ना टूटने की खनक आई।
आंखों से अश्क बहने लगे जब हाथ छोड़ कर देखा।।
बिना भावनाओं के मैंने शब्दों को जोड़ कर देखा।
दिल कैसे टूटता है बेवफाई में मैंने तोड़ कर देखा।।
ना गीत बना ना ग़ज़ल ना टूटने की खनक आई।
आंखों से अश्क बहने लगे जब हाथ छोड़ कर देखा।।