Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Mar 2017 · 1 min read

मुक्तक

तुम बार बार नजरों में आया न करो!
तुम बार बार मुझको तड़पाया न करो!
जिन्दा है अभी जख्म गमें-बेरुखी का,
तुम बार बार दर्द को बुलाया न करो!

मुक्तककार- #महादेव'(22)

Language: Hindi
517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुरु नानक देव जी --
गुरु नानक देव जी --
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शौक या मजबूरी
शौक या मजबूरी
संजय कुमार संजू
नेताजी का रक्तदान
नेताजी का रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Perhaps the most important moment in life is to understand y
Perhaps the most important moment in life is to understand y
पूर्वार्थ
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
*Author प्रणय प्रभात*
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
खुद पर विश्वास करें
खुद पर विश्वास करें
Dinesh Gupta
अमरत्व
अमरत्व
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आसमान को उड़ने चले,
आसमान को उड़ने चले,
Buddha Prakash
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
बदला सा व्यवहार
बदला सा व्यवहार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#काहे_ई_बिदाई_होला_बाबूजी_के_घर_से?
#काहे_ई_बिदाई_होला_बाबूजी_के_घर_से?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कौन है जिम्मेदार?
कौन है जिम्मेदार?
Pratibha Pandey
"एक और दिन"
Dr. Kishan tandon kranti
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
कवि रमेशराज
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रूठी हूं तुझसे
रूठी हूं तुझसे
Surinder blackpen
2520.पूर्णिका
2520.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*जातक या संसार मा*
*जातक या संसार मा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
निर्णय
निर्णय
Dr fauzia Naseem shad
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
"आशा" की कुण्डलियाँ"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
💐प्रेम कौतुक-374💐
💐प्रेम कौतुक-374💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
ruby kumari
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
फनकार
फनकार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कवि दीपक बवेजा
गुम लफ्ज़
गुम लफ्ज़
Akib Javed
Loading...