मुक्तक
एक चाँद जो रूठा है
मुग़ालता के बादल ओढ़ कर,
संशय के पहाड़ों के पीछे
जो डेरा बनाया है।
संदेह हटाने को
हर राज बताने को
मिन्नतों से एक चाँद को
अपनी खिड़की पर बुलाया है।।।
👉Rana…
एक चाँद जो रूठा है
मुग़ालता के बादल ओढ़ कर,
संशय के पहाड़ों के पीछे
जो डेरा बनाया है।
संदेह हटाने को
हर राज बताने को
मिन्नतों से एक चाँद को
अपनी खिड़की पर बुलाया है।।।
👉Rana…